यदि आप गर्मी के मौसम में कबूतर और चिड़िया को पीने के लिए पानी रखते हैं तो कई बार आपने एक्सपीरियंस किया होगा, यदि कोई कौवा पानी को जूठा कर गया तो फिर कबूतर, चिड़िया या कोई भी दूसरा पक्षी उस पानी को नहीं पीता है। सवाल यह है कि कौवा भी तो एक पक्षी ही है। फिर उसके साथ छुआछूत वाला व्यवहार क्यों किया जाता है।
भारत में कौवा पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है। पितृपक्ष में कौवा को श्रद्धा पूर्वक आमंत्रित करके श्राद्ध यानी भोजन कराया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी पर कौवा एक ऐसा प्राणी है जिसकी आयु सीमा निर्धारित नहीं है, उसकी कभी सामान्य मृत्यु नहीं होती। कौवा को अमर पक्षी माना जाता है। मानव जाति में श्रद्धा का प्रतीक होने के बावजूद पक्षियों के समाज में कौवा को बिल्कुल अलग रखा जाता है। जिस बर्तन में कौवा पानी पी जाता है, उस बर्तन का पानी कोई दूसरा पक्षी नहीं पीता।
पक्षियों के मामले में रुचि रखने वाले चंद्रेश डंगोरिया बताते हैं कि कौआ एक मिश्र आहारी पक्षी है। यानी वेज और नॉनवेज दोनों खाता है। मरे हुए जानवरों का मांस खाना पसंद करता है, लेकिन बड़ा हाइजेनिक होता है। दूसरे पक्षियों के अंडे, मरे हुए चूहे लेकर आता है और पानी में धोने के बाद उन्हें खाने के लिए लेकर उड़ जाता है।
अब आप ही बताइए इस प्रकार से कौए द्वारा गंदा किया गया पानी कबूतर, गौरैया चिड़िया या फिर इसके जैसे संवेदनशील पक्षी कैसे पी सकते हैं।
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