17 नवंबर को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, 'पंजाब केसरी' लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि मनाई जाती है। 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश लाठीचार्ज में घायल होने से उनकी मृत्यु हुई, लेकिन उनका बलिदान आज भी लाखों भारतीयों को प्रेरित करता है। लाल-बाल-पाल त्रयी के एक स्तंभ के रूप में वे स्वदेशी आंदोलन, आर्य समाज और राष्ट्रीय जागरण के प्रतीक थे। आज, उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके जीवन के 10 ऐसे अनसुने तथ्य साझा कर रहे हैं, जो शायद आपको उनके योगदान की नई गहराई दिखाएंगे। ये तथ्य उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को उजागर करते हैं – एक वकील से स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक सुधारक से संस्थापक तक।
मुख्य कंटेंट (10 अनसुने तथ्य – नंबर वाली लिस्ट):
- पंजाब नेशनल बैंक के संस्थापक सदस्य: लाला लाजपत राय ने 1894 में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे बैंक के पहले दशक में नेतृत्व का हिस्सा रहे, जो आज भारत का दूसरा सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर बैंक है। यह उनके आर्थिक स्वावलंबन के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- स्वदेशी आंदोलन के मूल विचारक: 'मेक इन इंडिया' का बीज 1905 के बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन में बोया गया था, जहां लाला लाजपत राय ने गांधी, तिलक, अरविंदो घोष और बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर स्वदेशी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की। यह आधुनिक 'आत्मनिर्भर भारत' का प्रारंभिक रूप था।
- 'पंजाब केसरी' नाम अखबार से पहले मिला: 'पंजाब केसरी' अखबार के अस्तित्व से पहले ही उन्हें यह उपनाम मिल चुका था। 1919 के रौलट एक्ट के खिलाफ असहयोग आंदोलन में उनकी भूमिका के कारण उन्हें 'पंजाब का शेर' कहा गया। बाद में यह नाम एक प्रसिद्ध अखबार का भी हो गया।
- आर्य समाज के प्रबल समर्थक और शिक्षक: स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रेरित होकर वे लाहौर में आर्य समाज में शामिल हुए और दयानंद एंग्लो वैदिक (DAV) कॉलेज में शिक्षक बने। उन्होंने हांसराज महात्मा को DAV स्कूल स्थापित करने में सहयोग दिया, जो आज राष्ट्रीय शिक्षा का प्रतीक है।
- सेवा भारती सोसाइटी के संस्थापक: 1921 में उन्होंने 'सर्वेंट्स ऑफ द पीपल सोसाइटी' नामक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की, जो राष्ट्रीय मिशनरियों को प्रशिक्षित करने और सामाजिक सेवा के लिए समर्पित था। इसका मुख्यालय लाहौर में था, जो 1947 में दिल्ली स्थानांतरित हो गया।
- लक्ष्मी इंश्योरेंस कंपनी के प्रमुख: वे 'लक्ष्मी इंश्योरेंस कंपनी' के प्रमुख थे, जो 1956 में लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) में विलय हो गई। यह उनके आर्थिक संस्थाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के प्रयासों को दिखाता है।
- मां की स्मृति में गुलाब देवी चेस्ट हॉस्पिटल: 1927 में अपनी मां गुलाब देवी (जो तपेदिक से मृत्युग्रस्त हुईं) की याद में उन्होंने एक ट्रस्ट स्थापित किया, जो 1934 में लाहौर (अब पाकिस्तान) में गुलाब देवी चेस्ट हॉस्पिटल बना। यह अस्पताल महिलाओं द्वारा संचालित है।
- 'साइमन गो बैक' का नारा: 1928 के साइमन कमीशन विरोधी प्रदर्शन में उन्होंने मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर 'साइमन गो बैक' का प्रसिद्ध नारा दिया। लाठीचार्ज में घायल होने के बावजूद उन्होंने कहा, "मुझे लगे घाव ब्रिटिश साम्राज्यवाद के कफन में कील साबित होंगे।"
- अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई: लाला लाजपत राय ने छुआछूत के खिलाफ सक्रिय संघर्ष किया और सामाजिक समानता के लिए आर्य समाज के माध्यम से काम किया। वे बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह जैसे मुद्दों पर भी मुखर थे।
- मांडले जेल निर्वासन और कानून त्याग: 1907 में पंजाब में राजनीतिक आंदोलन के कारण उन्हें मांडले (बर्मा) जेल भेजा गया। 1914 में उन्होंने वकालत छोड़कर पूर्ण रूप से स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित हो गए। 1920 में कलकत्ता कांग्रेस सेशन के अध्यक्ष भी बने।
लाला लाजपत राय का जीवन केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित नहीं था; उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी अमिट छाप छोड़ी। उनकी पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि सच्चा देशभक्ति बहुआयामी होती है। अगर आपको ये तथ्य पसंद आए, तो कमेंट में बताएं और शेयर करें। जय हिंद!
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