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अपने बहुत से शेर सूने होंगे लेकिन ये पढ़ कर दिल खुश हो जायेगा।

 



कुछ ऐसी शायरियां जिन्हे पढ़ कर आपको लगेगा की "ये तो मेरी ही जिंदगी की कहानी छपी हुई है!" आपको शौक न भी हो शायरियों का, तब भी एक शायरी पढ़ कर लगेगा की "एक और पढ़ लिया जाए...." आपको यदि अपनी गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड को इंप्रेस करना हो, तो एक प्यारी सी शायरी से बेहतर कुछ नहीं।

बात मोहब्बत की हो या एक टूटे दिल की, जिंदगी से धोखा खाए इंसान की या अनुभवी जिंदगी के नाम दो शब्द की, हर चीज़ से आप बहुत रिलेट कर पाएंगे..

एक अच्छी सी महफिल जब जमी हो दोस्तों और परिवार वालों के बीच, तो अपने भावनाओं को सबके सामने एक शायराना अंदाज में बयान करने का एक अलग ही टशन होता है। ऐसी ही कुछ पलों में माहौल बना देने वाली शायरियां लेकर आएं हैं हम आपके लिए :


तुम्हें हम भी सताने पर उतर आएँ तो क्या होगा

तुम्हारा दिल दुखाने पर उतर आएँ तो क्या होगा


हमें बदनाम करते फिर रहे हो अपनी महफ़िल में

अगर हम सच बताने पर उतर आएँ तो क्या होगा 

Santosh S Singh


लोग काँटों से बच के चलते हैं 

मैं ने फूलों से ज़ख़्म खाए हैं 

Unknown


लम्हा दर लम्हा तेरी राह तका करती है

एक खिड़की तेरी आमद की दुआ करती है


एक सोफ़ा है जिसे तेरी ज़रूरत है बहोत

एक कुर्सी है जो मायूस रहा करती है


सलवटें चीखती रहती हैं मिरे बिस्तर पर

करवटों में ही मेरी रात कटा करती है


वक़्त थम जाता है अब रात गुज़रती ही नहीं

जाने दीवार घड़ी रात में क्या करती है


चाँद खिड़की में जो आता था नहीं आता अब

तीरगी चारो तरफ़ रक़्स किया करती है


मेरे कमरे में उदासी है क़यामत की मगर

एक तस्वीर पुरानी सी हँसा करती है 

Abbas Qamar


ज़िन्दगी हो गई उदास उदास

इक तेरे रूठ जाने के डर से 

Mukesh Jha


ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है 

Allama Iqbal


चाँदी सोना एक तरफ़ तेरा होना एक तरफ़

एक तरफ़ तेरी आँखें जादू टोना एक तरफ़ 

Gyan Prakash Akul


हम वो हैं जो ख़ुदा को भूल गए

तुम मेरी जान किस गुमान में हो 

Jaun Elia


तू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझसे

तू किसी और ही मौसम की महक लाई थी


डर रहा था कि कहीं ज़ख़्म न भर जाएँ मेरे

और तू मुट्ठियाँ भर-भर के नमक लाई थी 

Tehzeeb Hafi


उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था 

 ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी 

Ali Zaryoun


उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा 

Iftikhar Naseem


कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है 

Kumar Vishwas


तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो 

क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो 


आँखों में नमी हँसी लबों पर 

क्या हाल है क्या दिखा रहे हो 


बन जाएँगे ज़हर पीते पीते 

ये अश्क जो पीते जा रहे हो 


जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है 

तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो 


रेखाओं का खेल है मुक़द्दर 

रेखाओं से मात खा रहे हो 

Kaifi Azmi


ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी

मगर नातिक को मिर्ची लग रही थी


तुम्हारे लब नही चूमे थे जब तक

मुझे हर चीज़ कड़वी लग रही थी


मैं जिस दिन छोड़ने वाला था उसको

वो उस दिन सबसे प्यारी लग रही थी 

Zubair Ali Tabish